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लाश होने से पहले आकाश हो जाओ, रात होने से पहले प्रकाश हो जाओ || आचार्य प्रशांत (2024)

2024-03-12 8 Dailymotion

<br />#acharyaprashant<br /><br />वीडियो जानकारी: 14.01.24, संत सरिता, ग्रेटर नॉएडा <br /><br />प्रसंग: <br />रैन दिवस पिय संग रहत हैं <br />रैन दिवस पिय संग रहत हैं, <br />मैं पापिन नहिं जाना ॥ <br /><br />मात पिता घर जन्म बीतिया, <br />आया गवन नगिचाना। <br />आजै मिलो पिया अपने से, <br />करिहो कौन बहाना ॥ १ ॥ <br /><br />मानुष जनम तो बिरथा खोये, <br />राम नाम नहिं जाना। <br />हे सखि मेरो तन मन काँपै, <br />सोई शब्द सुनि काना ॥ २ ॥ <br /><br />रोम-रोम जाके परकाशा, <br />कहैं कबीर सुनो भाई साधो, <br />करो स्थिर मन ध्याना ॥ ३ ॥ <br /><br />~ कबीर साहब <br /><br />शब्दार्थ: रैन दिवस- रात दिन; गवन- संसार से जाने की दशा; नगिचाना: निकट आना; विरथा- व्यर्थ<br /><br />~ जैसी जिंदगी हम जी रहे हैं, उसकी व्यर्थता हमारे सामने आईने की तरह खड़ी की जा सके, यही बोध है।<br /><br />~ सुरक्षा, ढर्रे, सुरक्षा, यही हमारा जीवन है। किसी तरह बचे रह जाए, बचे रह जाए।<br /><br />~जब ज़िन्दगी हमारी इतनी घुटी हुई है, तो कम से कम एक घुटी हुई ही सही, पर चीख सुनाई तो दे I<br /><br />~प्राकृतिक जीवन क्या होता है? यही पैदा हुए हो, जो शरीर ने सिखाया, वो करा I और फिर समय पूरा हो गया, या कोई सहयोग आ गया, मर गए I <br /><br />संगीत: मिलिंद दाते<br />~~~~~<br />

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